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क्लस्टर मॉड्यूल

Node.js में क्लस्टर मॉड्यूल एक महत्वपूर्ण फीचर है जो डेवलपर्स को मल्टी-कोर प्रोसेसर का पूर्ण लाभ उठाने के लिए कई वर्कर प्रोसेस बनाने की सुविधा देता है। Node.js स्टैंडर्ड रूप से एक सिंगल-थ्रेडेड इवेंट लूप पर काम करता है, जिससे उच्च लोड पर प्रदर्शन बाधित हो सकता है। क्लस्टर मॉड्यूल इस समस्या का समाधान करता है, क्योंकि यह मास्टर प्रोसेस के तहत वर्कर प्रोसेस बनाता है, जो स्वतंत्र इवेंट लूप के साथ HTTP अनुरोधों को समानांतर रूप से प्रोसेस कर सकते हैं। यह थ्रूपुट बढ़ाता है, विलंबता कम करता है और एप्लिकेशन की उपलब्धता को सुनिश्चित करता है।
क्लस्टर मॉड्यूल विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब एप्लिकेशन को उच्च संख्या में समानांतर अनुरोधों को संभालना होता है, जैसे वेब सर्वर, रियल-टाइम API या CPU-इंटेंसिव सेवाएँ। इस मॉड्यूल का उपयोग करते समय Node.js की महत्वपूर्ण अवधारणाएँ जैसे सिंटैक्स, डेटा स्ट्रक्चर, एल्गोरिदम और OOP प्रिंसिपल्स अपनाए जाते हैं। डेवलपर्स वर्कर को मॉनिटर कर सकते हैं, स्वतः रीस्टार्ट कर सकते हैं और ट्रैफिक को कुशलतापूर्वक वितरित कर सकते हैं।
इस ट्यूटोरियल में पाठक सीखेंगे कि मास्टर और वर्कर प्रोसेस कैसे बनाए जाते हैं, एरर हैंडलिंग कैसे की जाती है, लोड बैलेंसिंग कैसे इम्प्लीमेंट की जाती है और संसाधनों का इष्टतम उपयोग कैसे किया जाता है, जिससे मेमोरी लीक्स और अनइफिशिएंट एल्गोरिदम से बचा जा सके। क्लस्टर मॉड्यूल के मास्टरी से स्केलेबल, हाई-परफॉर्मेंस और स्टेबल Node.js सिस्टम्स तैयार किए जा सकते हैं।

मूल उदाहरण

text
TEXT Code
const cluster = require('cluster');
const http = require('http');
const numCPUs = require('os').cpus().length;

if (cluster.isMaster) {
console.log(`मास्टर प्रोसेस ${process.pid} चल रहा है`);

for (let i = 0; i < numCPUs; i++) {
cluster.fork();
}

cluster.on('exit', (worker, code, signal) => {
console.log(`वर्कर ${worker.process.pid} बंद हो गया। रीस्टार्ट कर रहा हूँ...`);
cluster.fork();
});

} else {
http.createServer((req, res) => {
res.writeHead(200);
res.end(`वर्कर ${process.pid} से हेलो\n`);
}).listen(8000);

console.log(`वर्कर ${process.pid} शुरू हुआ`);

}

इस मूल उदाहरण में cluster.isMaster चेक करता है कि क्या वर्तमान प्रोसेस मास्टर है। मास्टर प्रोसेस उपलब्ध CPU कोर की संख्या के अनुसार वर्कर बनाता है। हर वर्कर अपना स्वतंत्र इवेंट लूप रखता है और HTTP अनुरोधों को समानांतर प्रोसेस करता है। cluster.on('exit') वर्कर की मृत्यु को मॉनिटर करता है और आवश्यक होने पर उसे रीस्टार्ट करता है। process.pid का उपयोग प्रोसेस की पहचान के लिए किया जाता है। यह उदाहरण Node.js में क्लस्टर मॉड्यूल के बेसिक कॉन्सेप्ट को दिखाता है और प्रदर्शन, स्थिरता तथा मेमोरी लीक्स से बचाव के लिए Best Practices का पालन करता है।

व्यावहारिक उदाहरण

text
TEXT Code
const cluster = require('cluster');
const http = require('http');
const os = require('os');

class WorkerManager {
constructor() {
this.numCPUs = os.cpus().length;
this.workers = [];
}

start() {
if (cluster.isMaster) {
console.log(`मास्टर प्रोसेस ${process.pid} चल रहा है`);
for (let i = 0; i < this.numCPUs; i++) {
this.createWorker();
}

cluster.on('exit', (worker, code, signal) => {
console.log(`वर्कर ${worker.process.pid} बंद हो गया। रीस्टार्ट कर रहा हूँ...`);
this.createWorker();
});
} else {
this.createServer();
}
}

createWorker() {
const worker = cluster.fork();
this.workers.push(worker);
}

createServer() {
const server = http.createServer((req, res) => {
const start = Date.now();
while (Date.now() - start < 100) {}
res.writeHead(200);
res.end(`वर्कर ${process.pid} ने प्रोसेस किया\n`);
});

server.listen(8000, () => {
console.log(`वर्कर ${process.pid} पोर्ट 8000 पर सुन रहा है`);
});
}

}

const manager = new WorkerManager();
manager.start();

इस व्यावहारिक उदाहरण में WorkerManager क्लास क्लस्टर लॉजिक को ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड तरीके से कैप्सुलेट करती है। मास्टर प्रोसेस वर्कर को मॉनिटर करता है और उनके अचानक बंद होने पर उन्हें रीस्टार्ट करता है। प्रत्येक वर्कर HTTP अनुरोधों को स्वतंत्र रूप से प्रोसेस करता है और CPU-इंटेंसिव कार्य को सिमुलेट करता है। यह उदाहरण Node.js में OOP प्रिंसिपल्स, एल्गोरिदम, एरर हैंडलिंग और ऑप्टिमाइजेशन तकनीकों को दिखाता है और प्रोडक्शन-रेडी स्केलेबल एप्लिकेशन का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

क्लस्टर मॉड्यूल के लिए Best Practices:

  1. वर्कर की संख्या CPU कोर के अनुसार निर्धारित करें।
  2. वर्कर मॉनिटरिंग करें और अप्रत्याशित बंद होने पर उन्हें रीस्टार्ट करें।
  3. संसाधनों जैसे डेटाबेस कनेक्शन और फाइल हैंडल को सही से रिलीज़ करें।
  4. प्रत्येक वर्कर में एरर हैंडलिंग करें, केवल मास्टर पर नहीं।
  5. एल्गोरिदम और असिंक्रोनस ऑपरेशंस का उपयोग करें ताकि इवेंट लूप ब्लॉक न हो।
  6. IPC सुरक्षित रखें और इनपुट वैलिडेशन करें।
    इन उपायों से स्केलेबल, परफॉर्मेंट और स्थिर Node.js एप्लिकेशन तैयार होते हैं।

📊 संदर्भ तालिका

Node.js Element/Concept Description Usage Example
cluster.isMaster जाँच करता है कि प्रोसेस मास्टर है if (cluster.isMaster) { ... }
cluster.fork() नया वर्कर प्रोसेस बनाता है const worker = cluster.fork();
cluster.on('exit') वर्कर के बंद होने पर रीस्टार्ट करता है cluster.on('exit', (worker)=>{ cluster.fork(); });
process.pid प्रोसेस की आईडी देता है console.log(process.pid);
http.createServer हर वर्कर के लिए HTTP सर्वर बनाता है http.createServer((req,res)=>{res.end('ok')}).listen(8000);

क्लस्टर मॉड्यूल का मास्टरी करने से CPU कोर का इष्टतम उपयोग, वर्कर प्रोसेस प्रबंधन, फॉल्ट टॉलरेंस और स्केलेबल सिस्टम डिज़ाइन संभव होता है। अगले कदम में वर्कर थ्रेड्स, IPC ऑप्टिमाइजेशन, मेमोरी मॉनिटरिंग और एडवांस्ड लोड-बैलेंसिंग तकनीकें सीखना फायदेमंद होगा। आधिकारिक Node.js डाक्यूमेंटेशन और ओपन-सोर्स क्लस्टर उदाहरण इसके लिए उपयुक्त संसाधन हैं।

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